ख्वाबों की परछाइयों में देखो -
कितने ही अनसुलझे सवाल गुथे हैं,
सागर की लहरों में देखो -
कितनी ही असीमित प्यास भरी है,
बादलों की घटाओं में देखो -
किसके मिलने की दस्तक है,
फूलों के बहार में देखो -
किसके आने की महक है,
और एक जोगन की आँखों में देखो -
कितने ही दर्द समेटे है...
उसके सवाल, उसकी प्यास, मिलने की दस्तक, किसीकी आहट,
कभी न पूरी हो सकने वाली चाहत...
बस एक आस की वो सपने सच होंगे,
इस धरती और आकाश की तरह वो भी कही मिलेंगे...
कितने ही अनसुलझे सवाल गुथे हैं,
सागर की लहरों में देखो -
कितनी ही असीमित प्यास भरी है,
बादलों की घटाओं में देखो -
किसके मिलने की दस्तक है,
फूलों के बहार में देखो -
किसके आने की महक है,
और एक जोगन की आँखों में देखो -
कितने ही दर्द समेटे है...
उसके सवाल, उसकी प्यास, मिलने की दस्तक, किसीकी आहट,
कभी न पूरी हो सकने वाली चाहत...
बस एक आस की वो सपने सच होंगे,
इस धरती और आकाश की तरह वो भी कही मिलेंगे...