Thursday 23 February 2012

KHWAHISH

ख्वाबों की परछाइयों में देखो -
कितने ही अनसुलझे सवाल गुथे हैं,
सागर की लहरों में देखो -
कितनी ही असीमित प्यास भरी है,
बादलों की घटाओं में देखो -
किसके मिलने की दस्तक है,
फूलों के बहार में देखो -
किसके आने की महक है,
और एक जोगन की आँखों में देखो -
कितने ही दर्द समेटे है...
उसके सवाल, उसकी प्यास, मिलने की दस्तक, किसीकी आहट,
कभी न पूरी हो सकने वाली चाहत...
बस एक आस की वो सपने सच होंगे,
इस धरती और आकाश की तरह वो भी कही मिलेंगे...

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